महिलाओं को नाइट ड्यूटी से नहीं रोका जा सकता, सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी; CJI ने सिब्बल को भी लिया आड़े हाथ

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान, जब यह जानकारी दी गई कि पश्चिम बंगाल सरकार ने महिला डॉक्टरों की रात की ड्यूटी और 12 घंटे से अधिक शिफ्ट को लेकर एक अधिसूचना जारी की है, तो कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि इस अधिसूचना को वापस लिया जाए और उसमें आवश्यक सुधार किए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की उस अधिसूचना पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें महिला डॉक्टरों को रात की ड्यूटी से परहेज करने और उनकी ड्यूटी 12 घंटे से अधिक न करने की बात कही गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि महिलाओं को रात की ड्यूटी करने से कैसे रोका जा सकता है। किसी भी महिला से यह नहीं कहा जा सकता कि वह रात की ड्यूटी नहीं कर सकती।

कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों, पायलटों और सशस्त्र बलों में रात की ड्यूटी होती है। महिला डॉक्टर हर परिस्थिति में काम करने के लिए तैयार हैं और उन्हें हर परिस्थिति में काम करना चाहिए। महिलाएं रियायत नहीं बल्कि समान अवसर चाहती हैं। उन्हें रात की ड्यूटी से रोकना उचित नहीं है; राज्य का कर्तव्य है कि वे उन्हें सुरक्षा प्रदान करें।

SC ने पश्चिम बंगाल सरकार को अधिसूचना सुधारने और अस्पतालों में सुरक्षा पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को अपनी अधिसूचना में सुधार करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने अस्पतालों में सुरक्षा के लिए ठेके पर सुरक्षा कर्मी रखने के मामले में भी सवाल उठाए। ये टिप्पणियां प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दरिंदगी और हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान कीं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।

सिब्बल ने पीठ को भरोसा दिलाया

कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की पैरोकारी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि आप महिलाओं से नहीं कह सकते कि वे रात्रि ड्यूटी न करें। ये उनके कैरियर के लिए नुकसानदेह होगा। राज्य का कर्तव्य है कि वह उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए। महिलाएं कोई विशेष रियायत नहीं मांग रहीं वे बराबरी के अवसर चाहती हैं। सिब्बल ने पीठ को भरोसा दिलाया कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा जो महिलाओं की समानता को प्रभावित करती होगी।

कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा पर उठाए सवाल

हालांकि उन्होंने कहा कि 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी न होने की बात अनिवार्य न की जाए। इस पर पीठ का कहना था कि ड्यूटी के घंटे सभी डॉक्टरों के लिए तर्कसंगत होने चाहिए। अस्पताल में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा ठेके पर सुरक्षा कर्मी रखे जाने के निर्णय पर पर भी कोर्ट ने सवाल उठाया। चीफ जस्टिस ने कहा कि यहां पर मुद्दा डॉक्टरों की सुरक्षा का है। ठेके के सुरक्षाकर्मियों पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। डॉक्टर से दरिंदगी का आरोपी सिविल डिफेंस का ही व्यक्ति है।

डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील: सुरक्षा व्यवस्था में सुधार का आश्वासन

कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य की पुलिस को सुरक्षा में तैनात किया जाना चाहिए। सिब्बल ने इस बात को स्पष्ट किया कि पुलिस और सीआरपीएफ पहले से ही तैनात रहेगी। सुरक्षा व्यवस्था को ठीक करने का आश्वासन देते हुए, सिब्बल ने जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की और कोर्ट को भरोसा दिलाया कि अगर डॉक्टर काम पर वापस लौटते हैं, तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

सीबीआई द्वारा 27 मिनट के सीसीटीवी फुटेज और पोस्टमार्टम चालान के मुद्दे पर चर्चा

सुनवाई के दौरान, सीबीआई द्वारा केवल 27 मिनट के सीसीटीवी फुटेज प्रदान करने का मुद्दा उठाया गया। इस पर, सिब्बल ने बताया कि इसके अलावा, सीबीआई को पेन ड्राइव में रिकॉर्डिंग भी दी गई है। पोस्टमार्टम चालान फार्म के बारे में सिब्बल ने कहा कि इसका उपयोग 1997 से बंद हो चुका है, लेकिन राज्य सरकार भारत सरकार द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम का पालन करती है और रिक्वीजिशन भेजती है। पिछली सुनवाई के दौरान भी पोस्टमार्टम चालान का मुद्दा उठाया गया था।

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