एक अध्ययन में बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि हर तीन में से एक बच्चा मायोपिया (Myopia) से प्रभावित है। खासतौर पर, कोविड महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के बाद से बच्चों में मायोपिया के मामले तेजी से बढ़े हैं, जो यह दर्शाता है कि स्क्रीन टाइम इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आइए जानें, बच्चों की आंखों को मायोपिया से बचाने के कुछ अहम उपाय।
हाल ही में एक स्टडी में यह सामने आया है कि कोविड-19 महामारी के बाद बच्चों में मायोपिया के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। अब हर तीन में से एक बच्चा मायोपिया से पीड़ित है। मायोपिया, जिसे निकट दृष्टि दोष भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें दूर की वस्तुओं को साफ़ देखने में परेशानी होती है। अनुमान है कि वर्ष 2050 तक बच्चों में मायोपिया के मामले 74 करोड़ तक बढ़ सकते हैं। इस लेख में हम मायोपिया के कारणों और इससे बचाव के उपायों (Tips to Prevent Myopia) के बारे में जानेंगे।
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Toggleबच्चों में बढ़ते मायोपिया की मुख्य वजह क्या है?
स्टडी के अनुसार, मायोपिया के मामलों में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम है। कोविड-19 महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में बाहर जाने का कोई विकल्प नहीं था, इसलिए बच्चों की पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक सबकुछ मोबाइल फोन या कंप्यूटर के माध्यम से ही हुआ। लॉकडाउन के बाद भी बच्चों का अधिकतर समय स्क्रीन के सामने ही गुजरता है, जिससे उनका स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है, और इसी कारण मायोपिया के मामले तेजी से बढ़े हैं।
ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण आंखों में स्ट्रेन, रेडनेस और ड्राईनेस जैसी परेशानियां भी होती हैं, जो आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। स्क्रीन टाइम ज्यादा होने के साथ-साथ और भी कुछ फैक्टर्स हो सकते हैं, जो मायोपिया की वजह बन सकते हैं, जैसे-
- जेनेटिक्स-यदि माता-पिता में से किसी एक या दोनों को मायोपिया है, तो उनके बच्चों में भी इसकी संभावना ज्यादा होती है।
- बाहरी गतिविधियों की कमी-बाहर खेलने और धूप में रहने से आंखों को आराम मिलता है और मायोपिया का खतरा कम होता है। लेकिन इसकी कमी की वजह से आंखों को नुकसान पहुंचता है।
- कम रोशनी में पढ़ना-कम रोशनी में पढ़ने या फोन चलाने से आंखों पर ज्यादा स्ट्रेन पड़ता है, जिससे मायोपिया हो सकता है।
मायोपिया से बचने के उपाय
मायोपिया को पूरी तरह से रोकना मुश्किल हो सकता है, खासकर यदि परिवार में इसका इतिहास है तो। हालांकि, कुछ उपाय अपनाकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, जैसे-
- बाहरी गतिविधियों को बढ़ावा देना-बच्चों को हर दिन कम से कम 2-3 घंटे बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
- स्क्रीन समय को सीमित करना-कंप्यूटर, टैबलेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल हर दिन 2 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
- आंखों को आराम देना-नियमित रूप से आंखों को आराम देने के लिए 20-20-20 नियम का पालन करें। यानी हर 20 मिनट के स्क्रीन समय के बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर की किसी चीज को देखें।
- सही रोशनी में पढ़ना-पढ़ते समय बच्चों के कमरे की रोशनी सही हो, इसका ध्यान रखें और उन्हें अंधेरे में फोन न चलाने दें।
- नियमित आंखों की जांच कराना-बच्चों की आंखों की नियमित जांच कराना जरूरी है, ताकि मायोपिया के शुरुआती लक्षणों का पता चल सके और सही इलाज किया जा सके।
- पोषण पर ध्यान दें-बच्चे की डाइट में विटामिन-ए, डी, ई और ओमेगा 3 फैटी ऐसिड से भरपूर हो।
- आंखों की एक्सरसाइज करना-कुछ आंखों की एक्सरसाइज भी मायोपिया को रोकने में मदद कर सकता है। इनमें आंखों को घुमाना, आंखों को बंद करके आराम करना और दूर की चीजों पर फोकस करना शामिल हो सकता है।
Disclaimer: ऊपर लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य ज्ञान के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।