वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए “एक पेड़ मां के नाम” अभियान में सितंबर 2024 तक 80 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा गया था। इस लक्ष्य को 30 सितंबर से पहले ही न केवल हासिल कर लिया गया, बल्कि उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों ने अपने निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक पौधरोपण कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है।
जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के बीच, “एक पेड़ मां के नाम” अभियान को देश में पौधरोपण को बढ़ावा देने में बड़ी सफलता मिली है। इस अभियान के तहत न केवल समय-सीमा से पहले पौधरोपण का लक्ष्य पूरा किया गया, बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने अपने लक्ष्यों को पार करते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
हालांकि इस दौरान पश्चिम बंगाल, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्यों का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। जो अपने पौधरोपण के लक्ष्य से काफी पीछे रहे है। पौधरोपण से जुड़े इस अभियान की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर खुद अपनी मां के नाम एक पौधे को रोप कर की थी।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए इस अभियान में सितंबर 2024 तक 80 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। यह लक्ष्य 30 सितंबर से पांच दिन पहले ही हासिल कर लिया गया, और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश, और राजस्थान जैसे राज्यों ने अपने निर्धारित लक्ष्य से अधिक पौधरोपण कर नया रिकॉर्ड भी बनाया है।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 26.67 करोड़ पौधे रोपे गए, जबकि उसे केवल 25.25 करोड़ पौधों का लक्ष्य दिया गया था। गुजरात 15.5 करोड़ पौधों के साथ इस अभियान में दूसरे स्थान पर रहा, जबकि उसे 12.20 करोड़ पौधों का रोपण करने का लक्ष्य मिला था।
इस अभियान की खास बात यह है कि यह अगले वर्ष भी जारी रहेगा, जिससे देशभर में दो वर्षों में 140 करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है। अभियान के तहत सितंबर 2024 तक कुल 80.84 करोड़ पौधे रोपे जा चुके हैं।
तमिलनाडु को 42 लाख पौधों के रोपण का लक्ष्य दिया गया था। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, इस अभियान के तहत पश्चिम बंगाल को सितंबर 2024 तक 1.30 करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया, लेकिन उसने केवल तीन लाख पौधे ही रोपे हैं।
वहीं, तमिलनाडु ने 42 लाख पौधों के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ चार लाख पौधे लगाए हैं। इसी प्रकार, दिल्ली को 30 लाख पौधों के रोपण का लक्ष्य दिया गया था, जबकि उसने केवल दो लाख पौधे ही रोपे हैं।