सुपरटेक और एनबीसीसी के बीच चल रही कानूनी लड़ाई में नोएडा के हजारों फ्लैट खरीदारों का भविष्य अनिश्चितता में है। एनबीसीसी ने सुपरटेक की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि यह प्रस्ताव उनके हित में नहीं है। जानिए इस मामले की ताजा जानकारी और सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा के बयान के बारे में
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में सुपरटेक ने बताया कि वर्तमान में अधूरी परियोजनाओं का मुख्य कारण धन की कमी है। हालांकि, नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) ने अपने प्रस्ताव में दावा किया है कि सुपरटेक तकनीकी कमियों के कारण परियोजनाओं को पूरा नहीं कर पा रहा है, जो कि पूरी तरह से गलत है।
80,000 लोगों को मिल चुका आशियाना
सुपरटेक ने अब तक 12 परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिसमें 80,000 होम बायर्स को उनका आशियाना डिलीवर किया जा चुका है। अब तक इन परियोजनाओं से संबंधित कोई निर्माण संबंधी शिकायत नहीं आई है। कंपनी के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा कि बाकी परियोजनाओं को भी जल्द पूरा किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि एनबीसीसी द्वारा दिए गए प्रस्ताव को लागू करने में कम से कम 6 से 12 महीने का समय लगेगा।
सभी परियोजनाओं पर एक साथ नहीं होगा काम
सुपरटेक सभी परियोजनाओं पर एक साथ काम शुरू नहीं करेगा, जिसके कारण फेज 2 और फेज 3 के होम बॉयर्स को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। एनबीसीसी ने लैंड अथॉरिटी और बैंक की बकाया राशि चुकाने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है और परियोजना को पूरा करने के लिए किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर रही है। एनबीसीसी का यह प्रस्ताव उसी तरह का है जैसा उसने आम्रपाली प्रोजेक्ट में दिया था, जो बिल्कुल सफल नहीं रहा।
सुपरटेक ने प्रोजेक्ट पूरा करने को दिए लगभग 5192 करोड़
सुपरटेक ने प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए लगभग 5,192 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च प्रस्तुत किया है। जबकि एनबीसीसी के प्रस्ताव में निर्माण लागत काफी अधिक है। एनबीसीसी ने निर्माण की अनुमानित राशि 9,478 करोड़ रुपये बताई है, जो जीएसटी मिलाकर 10,378 करोड़ रुपये हो जाती है। यह राशि सुपरटेक के प्रस्ताव के मुकाबले लगभग दोगुनी है, जिसका सीधा प्रभाव स्टेकहोल्डर्स पर पड़ेगा।
19 सितंबर को हुई थी मामले की सुनवाई
19 सितंबर को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में सुपरटेक और नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) के बीच मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान, एनबीसीसी ने सुपरटेक की परियोजनाओं को पूरा करने का प्रस्ताव पेश किया। हालांकि, इस प्रस्ताव का स्टेकहोल्डर्स जैसे कि बैंक, अथॉरिटी, और होम बायर्स ने विरोध किया।
सुपरटेक को दून स्क्वायर पूरा करने की मिली अनुमति
इस स्थिति को देखते हुए, एनसीएलएटी ने सभी स्टेकहोल्डर्स से एनबीसीसी के प्रस्ताव के विरोध में लिखित जवाब दायर करने को कहा। आईआरपी इस मामले में सभी स्टेकहोल्डर्स के उत्तर लेकर एनसीएलएटी की अगली सुनवाई में प्रस्तुत करेगी। इसके अलावा, एनसीएलएटी ने 25 सितंबर को सुपरटेक को दून स्क्वायर परियोजना को पूरा करने की अनुमति दे दी।
दून स्क्वायर प्रोजेक्ट को बैंक ऑफ बड़ौदा और होम बायर्स की सहमति मिल चुकी थी, जिसे एनसीएलएटी ने स्वीकार कर लिया। इस मामले पर सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने बताया कि एनसीएलएटी का दून स्क्वायर को पूरा करने की अनुमति देना इस बात का संकेत है कि अधिकांश होम बायर्स सुपरटेक के साथ हैं।
उन्होंने कहा कि अथॉरिटी, बैंक, और अधिकांश होम बायर्स ने एनबीसीसी के प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसे आईआरपी लिखित रूप में ले रही है और एनसीएलएटी में जमा करेगी। एनबीसीसी के प्रस्ताव को लेकर स्टेकहोल्डर्स में संशय की स्थिति के कई कारण हैं।”