जापान की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) ने शुक्रवार को पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशिबा को अपना नया नेता चुना, जो अगले सप्ताह प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे। इशिबा को पार्टी के सांसदों और जमीनी स्तर के सदस्यों ने मतदान के माध्यम से चुना है। चूंकि एलडीपी का सत्तारूढ़ गठबंधन दोनों सदनों में बहुमत रखता है, इसलिए शिगेरु इशिबा का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है।
इस पार्टी चुनाव में दो महिलाओं सहित कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे। मौजूदा प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं, जिसके चलते पार्टी ने आम चुनाव से पहले जनता का विश्वास जीतने के लिए एक नए नेता की खोज की।
इस चुनाव में केवल पार्टी के सांसदों और करीब 10 लाख भुगतान करने वाले सदस्यों को ही मतदान का अधिकार था, जो कि जापान के कुल मतदाताओं का लगभग एक प्रतिशत है। पार्टी के अंदर गुटीय राजनीति और समझौतों के कारण यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि किस उम्मीदवार को जीत मिलेगी।
एनएचके टेलीविजन के शुरुआती अनुमानों के अनुसार, पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशिबा, आर्थिक सुरक्षा मंत्री साने ताकाइची, और पूर्व पर्यावरण मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी चुनाव में आगे चल रहे थे। मीडिया के सर्वेक्षणों में भी इशिबा सबसे आगे बताए जा रहे थे। ताकाइची, पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी मानी जाती हैं और रूढ़िवादी नेताओं में उनकी पहचान है, जबकि कोइज़ुमी, पूर्व प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी के बेटे हैं।
जापान की सत्तारूढ़ पार्टी के शक्तिशाली गुट आमतौर पर नेता चुनते थे, लेकिन इस बार भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद कई गुटों का विलय हो चुका है। विशेषज्ञों को आशंका है कि यदि नए नेता को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, तो जापान 2000 के दशक की राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर सकता है, जब बार-बार नेतृत्व परिवर्तन हुआ था।
इस चुनाव में केवल दो महिलाएं, ताकाइची और विदेश मंत्री योको कामीकावा, प्रधानमंत्री पद की दौड़ में थीं। जापान की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व मात्र 10.3% है, और महिला प्रतिनिधित्व के वैश्विक रैंकिंग में जापान 190 देशों में 163वें स्थान पर है। मौजूदा प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और उनका मंत्रिमंडल मंगलवार को इस्तीफा देंगे।
एलडीपी के घोटालों के बावजूद, जापान की मुख्य विपक्षी पार्टी, कांस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी, अपनी स्थिति को मजबूत करने में संघर्ष कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नवनिर्वाचित नेता योशिहिको नोडा पार्टी में रूढ़िवादी बदलाव की कोशिश करेंगे, जो जापान की राजनीति में व्यापक पुनर्संरचना का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। नोडा जापान के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं और उनकी पहचान एक मध्यमार्गी नेता के रूप में होती है।