आतिशी शपथग्रहण के बाद दिल्ली की सत्ता पर करेगी राज। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे देने के बाद उन्हें विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री घोषित किया गया। अब यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आप(AAM AADMI PARTY) सरकार में एक ही साथ मंत्री बनने के बाद भी सौरभ भारद्वाज सीएम की कुर्सी मिलने से कैसे पीछे रह गए।
आप सरकार में एक ही समय पर मंत्री बनने के बावजूद, सौरभ भारद्वाज मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आतिशी से पिछड़ गए। मंत्री के रूप में अपने महज डेढ़ साल के कार्यकाल में ही आतिशी मुख्यमंत्री बन गईं, जबकि सौरभ भारद्वाज दूसरे स्थान की स्थिति भी नहीं हासिल कर पाए। आतिशी का धैर्यवान और मृदुभाषी स्वभाव उन्हें लगातार आगे बढ़ने में मदद करता रहा।
अगर पीछे मुड़कर देखा जाए तो मार्च 2023 में मंत्री बनने के बाद से ही सौरभ भारद्वाज विभागों के बंटवारे में आतिशी से लगातार पिछड़ते रहे हैं। तीन महीने के भीतर दो बार उनके विभागों में फेरबदल किया गया। अक्टूबर 2023 में उनसे जल मंत्रालय लेकर आतिशी को सौंप दिया गया। भारद्वाज को आतिशी के तीन विभाग दिए गए थे, लेकिन ये सभी जल बोर्ड की तुलना में कम महत्वपूर्ण थे – पर्यटन, कला और संस्कृति विभाग।
भारद्वाज का कद तभी घटा दिया गया था और उनके पास अहम विभागों में केवल स्वास्थ्य विभाग छोड़ा गया। इससे पहले 12 अगस्त 2023 को एलजी ने आप सरकार के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, जिसमें भारद्वाज से लेकर सेवा और सतर्कता विभाग आतिशी को सौंपे गए थे।
आप सरकार में एक ही साथ मंत्री बनने के बावजूद सौरभ भारद्वाज सीएम की पद की दौड़ में भी आतिशी से पिछड़ गए। बतौर मंत्री महज डेढ़ साल के कार्यकाल में आतिशी मुख्यमंत्री बन गईं जबकि सौरभ दूसरे नं. की स्थिति भी हासिल नहीं कर पाए। आतिशी का धैर्यवान एवं मृदुभाषी होना उन्हें लगातार आगे बढ़ाता ले गया।
पीछे मुड़कर देखा जाए तो मार्च 2023 में मंत्री बनने के बाद विभागों के बंटवारे से ही सौरभ भारद्वाज आतिशी से लगातार पिछड़ते रहे हैं। तीन महीने के अंतराल में दो बार उनके विभागों में फेरबदल किया गया।
अक्टूबर 2023 में उनसे जल मंत्रालय लेकर आतिशी को दे दिया गया था।भारद्वाज को आतिशी के तीन विभाग दे दिए थे, लेकिन ये सभी जल बोर्ड से कम महत्वपूर्ण थे- पर्यटन, कला और संस्कृति विभाग।